अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति/ जनजाति के पीड़ित लोगों को दी जा रही आर्थिक सहायता :- उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह

अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति/ जनजाति के पीड़ित लोगों को दी जा रही आर्थिक सहायता :- उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह

रोहतक, 8 जून : उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत आर्थिक सहायता का प्रावधान अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को राहत और पुनर्वास प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके और वे अपनी जिंदगी को सामान्य रूप से जी सकें।
धर्मेंद्र सिंह ने कहा मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा अधिनियम के अंतर्गत प्रभावित लोगों को राहत देने का कार्य सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी कमेटी की बैठक में अधिनियम के अंतर्गत 15 मामले रखे गए और इन सभी को आर्थिक सहायता प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है। इन मामलों में जाति के नाम पर प्रताडऩा, गाली गलौज, छेड़छाड़ व मारपीट से संबंधित आदि मामले शामिल थे। इन 15 मामलों में 10 लाख 70 हजार रुपए की राशि जारी की गई। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज होने पर आर्थिक सहायता की 25 प्रतिशत राशि पीड़ित को प्रदान की जाती है व 50 प्रतिशत राशि चालान होने के उपरांत और शेष 25 प्रतिशत राशि न्यायालय में दोष सिद्ध होने के उपरांत प्रदान की जाती है।
  उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत आर्थिक सहायता के प्रावधान के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस अधिनियम के तहत, अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायता दी जाती है, जो अपराध की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर तय होती है। आर्थिक सहायता योजना के अंतर्गत अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं । प्रावधान के अनुसार अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को एक निश्चित राशि के रूप में राहत दी जाती है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है। अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को चिकित्सा खर्च के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को पुनर्वास के लिए भी आर्थिक सहायता दी जाती है, जिसमें रोजगार, शिक्षा और अन्य सामाजिक सहायता शामिल हो सकती हैं।
धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को उनके भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ता भी दिया जा सकता है। अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को अन्य प्रकार की सहायता भी दी जा सकती है, जैसे कि कानूनी सहायता, परामर्श, और सामाजिक समर्थन आदि शामिल है। अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए, उसे कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती हैं। ऐसा दस्तावेज जो यह प्रमाणित करता है कि पीड़ित व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है। यह प्रमाणित करता है कि पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ अत्याचार हुआ है। यदि पीड़ित व्यक्ति को चोट लगी है, तो उसे चिकित्सा प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा।
धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति के उन सदस्यों को 85000/- से लेकर 8,25,000/- रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो गैर-अनुसूचित जाति के व्यक्तियों द्वारा विभिन्न कृत्यों जैसे कि संपत्ति की क्षति और हानि, गंभीर चोट, अस्थायी / स्थायी अक्षमता, हत्या, मृत्यु, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, अपहरण, शीलभंग आदि के लिए अत्याचार के शिकार होते हैं और एससी/एसटी (पीओए) अधिनियम, 1989 के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है। वित्तीय सहायता एससी/एसटी (पीओए) नियम, 1995 के साथ संलग्न अनुलग्नक-ढ्ढ में निर्धारित मानदंडों के अनुसार दी जाती है। राशि के भुगतान के बारे में उन्होंने बताया कि वित्तीय सहायता पीड़ित अथवा पीड़ित के परिवार/आश्रित के बैंक खाते में प्रदान की जाती है।उपायुक्त मंजूरी देने वाला प्राधिकारी है और जिला कल्याण अधिकारी डीडीओ है।

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