झज्जर, 31 मई।
राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति नागरिकों में जागरूकता और आपात परिस्थितियों में जिला प्रशासन की तैयारियों को सशक्त बनाने के लिए डीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल के दिशा-निर्देशन में शनिवार को एनटीपीसी झाड़ली पावर प्लांट में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल ‘ऑपरेशन शील्ड’ का आयोजन किया गया। इस दौरान पावर प्लांट की एक बिल्डिंग पर ड्रोन हमले की प्रतीकात्मक स्थिति उत्पन्न कर उससे निपटने की तैयारियों का परीक्षण किया गया।
सायं 5 बजते ही झाड़ली पावर प्लांट में सिविल डिफेंस अभ्यास शुरु हो गया और ड्रोन हमले की काल्पनिक स्थिति के दौरान चारों तरफ अफरा तफरी मच गई। आपात स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों को अंजाम देने के लिए जिला प्रशासन, सिविल डिफेंस, दमकल विभाग, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, एंबुलेंस सेवाएं तथा अन्य संबंधित एजेंसियों की ओर से त्वरित कार्रवाई की गई। अभ्यास के दौरान सात लोगों को प्रतीकात्मक रूप से मृत तथा 8 को घायल दर्शाया गया। घायलों को प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल भेजने की प्रक्रिया को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया।
सिविल डिफेंस अभ्यास के सफल आयोजन के बाद डीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने कहा कि यह मॉक ड्रिल ड्रोन जैसे उभरते खतरे के परिप्रेक्ष्य में सुरक्षा और आपदा प्रतिक्रिया तंत्र की तैयारियों को जांचने का एक महत्वपूर्ण अवसर रहा। अभ्यास के दौरान संचार व्यवस्था, आपातकालीन रिस्पांस टाइम, कोआर्डिनेशन, और फील्ड में वास्तविक समय में निर्णय लेने की क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अभ्यास आपदा की स्थिति में जान-माल की हानि को न्यूनतम करने में सहायक सिद्ध होते हैं। साथ ही, इससे सभी विभागों के बीच समन्वय और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता भी मजबूत होती है। खास बात ये रही कि जिले के सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने सक्रिय रूप से इस अभ्यास में भाग लिया व प्रशासन के साथ मिलकर आपदा से निपटने की तैयारियों को परखा।
वास्तविक आपदा जैसी परिस्थितियों में किया गया रिस्पॉन्स सिस्टम का मूल्यांकन
अभ्यास की शुरुआत शाम 5 बजे एयर रेड सायरन से हुई, जिसके बाद झाड़ली पावर प्लांट में आपात स्थिति की कल्पना करते हुए विभिन्न राहत और बचाव एजेंसियों ने अपनी भूमिका निभाई। प्लांट परिसरों से कर्मियों एवं अन्य लोगों की सुरक्षित निकासी, घायलों की प्राथमिक चिकित्सा, फायर ब्रिगेड की त्वरित कार्रवाई, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का समन्वय आदि सभी प्रक्रियाएं वास्तविक परिस्थितियों की तरह की गईं।
स्थापित किए गए कंट्रोल रूम
जिला मुख्यालय में सीटीएम रविंद्र मलिक के नेतृत्व में आपातकालीन ऑपरेशन सेंटर (आईआरएस) तथा सिविल डिफेंस कंट्रोल रूम की स्थापना की गई, जहाँ से संपूर्ण गतिविधियों की लाइव निगरानी और समन्वय किया गया। रेडियो संचार और वायरलेस सिस्टम के माध्यम से सभी टीमों के बीच कम्युनिकेशन कोआर्डिनेशन सुनिश्चित किया गया।