वैश्विक संकटों से रोजाना विस्थापित होते हैं 34 हजार लोग:कपूर
प्राकृतिक आपदा में महिलाओं के साथ बढ़ जाती है प्रजनन समस्या
पंचकूला। देश में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश में वर्ष 1949 से कार्य कर रहे अग्रणी संगठन फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा यौन प्रजनन स्वास्थ्य के विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय था यौन प्रजनन स्वास्थ्य के लिए न्यूनतम प्रारंभिक सेवा पैकेज (एमआईएसपी) और भारत में मानवीय संकट के दौरान एफपीए इंडिया के प्रयास। इस अवसर पर शाखा के पूर्व अध्यक्ष विनोद कपूर ने कहा कि वैश्विक मानवीय संकट हर दिन प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन, सशस्त्र संघर्ष, महामारी और अन्य जटिल आपात स्थितियों के कारण लगभग 34,000 लोगों को विस्थापित करता है। संकट के दौरान महिलाओं और लड़कियों की प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता बनी रहती हैं।
संकटों से प्रभावित एक चौथाई लोग 15-49 वर्ष की महिलाएं और लड़कियां होती हैं। हर पांच में से एक महिला गर्भवती होने की संभावना होती है और हर पांच प्रसवों में से एक में जटिलताएं हो सकती हैं। इस तरह की परिस्थितियों में काम करने के लिए एफपीए इंडिया की भूमिका सराहनीय है।
इस अवसर पर बोलते हुए एफपीए इंडिया, पंचकूला शाखा की चेयरपर्सन अनिता बतरा ने बताया कि प्राकृतिक आपदा व अन्य संकटों के दौरान यौन संचारित संक्रमणों और एचआईवी के संक्रमण की दर भी बढ़ जाती है। किशोर भयभीत, तनावग्रस्त, ऊबे हुए या निष्क्रिय महसूस कर सकते हैं और वे ऐसे जोखिमपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं जिनसे निपटने के लिए वह तैयार नहीं होते।
प्राकृतिक आपदा में महिलाओं के साथ बढ़ जाती है प्रजनन समस्या
पंचकूला। देश में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश में वर्ष 1949 से कार्य कर रहे अग्रणी संगठन फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा यौन प्रजनन स्वास्थ्य के विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय था यौन प्रजनन स्वास्थ्य के लिए न्यूनतम प्रारंभिक सेवा पैकेज (एमआईएसपी) और भारत में मानवीय संकट के दौरान एफपीए इंडिया के प्रयास। इस अवसर पर शाखा के पूर्व अध्यक्ष विनोद कपूर ने कहा कि वैश्विक मानवीय संकट हर दिन प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन, सशस्त्र संघर्ष, महामारी और अन्य जटिल आपात स्थितियों के कारण लगभग 34,000 लोगों को विस्थापित करता है। संकट के दौरान महिलाओं और लड़कियों की प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता बनी रहती हैं।
संकटों से प्रभावित एक चौथाई लोग 15-49 वर्ष की महिलाएं और लड़कियां होती हैं। हर पांच में से एक महिला गर्भवती होने की संभावना होती है और हर पांच प्रसवों में से एक में जटिलताएं हो सकती हैं। इस तरह की परिस्थितियों में काम करने के लिए एफपीए इंडिया की भूमिका सराहनीय है।
इस अवसर पर बोलते हुए एफपीए इंडिया, पंचकूला शाखा की चेयरपर्सन अनिता बतरा ने बताया कि प्राकृतिक आपदा व अन्य संकटों के दौरान यौन संचारित संक्रमणों और एचआईवी के संक्रमण की दर भी बढ़ जाती है। किशोर भयभीत, तनावग्रस्त, ऊबे हुए या निष्क्रिय महसूस कर सकते हैं और वे ऐसे जोखिमपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं जिनसे निपटने के लिए वह तैयार नहीं होते।
बहुत कम उम्र के किशोर,विशेष रूप से लड़कियां, अपनी निर्भरता, शक्ति की कमी और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भागीदारी की कमी के कारण जोखिम में होती हैं। ऐसे समय में गोपनीय और सुरक्षित यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के मार्गदर्शन तक पहुंच की तत्काल आवश्यकता होती है। इस अवसर पर बोलते हुए एफपीए इंडिया के महाप्रबंधक मनोज कुमार ने कहा कि इसका उद्देश्य मातृ और नवजात मृत्यु दर को रोकना,यौन हिंसा का प्रबंधन करना और गर्भनिरोधक तक पहुंच सुनिश्चित करना है।