चुनाव में नेताओं ने त्यागी महंगी व लग्जरी गाडिय़ां, ट्रैक्टर पर हुए सवार
कोई बैलगाड़ी तो काई ऊंट पर मतदाताओं को लुभाने की कवायद में
चंडीगढ़। ट्रैक्टर हरियाणा विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के लिए स्टार प्रचारक बना हुआ है। आधुनिक समस में जहां चुनाव प्रचार के नए-नए तरीके इजाद हुए हैं वहीं नेताओं ने ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी इमेज को मजबूत करने के लिए ट्रैक्टर व बैलगाडिय़ों का सहारा लेना शुरू कर दिया है।
ट्रैक्टरों पर सवार होकर मतदाताओं के बीच पहुंचकर नेता खुद को उनके जैसा ही साबित कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि नेता इस तरह के प्रपंच अपनी तरफ से नहीं बल्कि इमेत बिल्डिंग का काम करने वाली एजेंसियों के कहने पर कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान ऐसी कई तस्वीरें वायरल हुई जिनमें नेता महंगी लग्जरी गाडिय़ों को छोडक़र ट्रेक्टर, उंट या बैलगाड़ी की सवारी करते हुए दिखाई दिए।
हरियाणा के चुनावी रण में उतरे सभी राजनीतिक दलों के टॉप एजेंडे पर किसान और ग्रामीण हैं। जिसके चलते इन दो वर्गों को लुभाने में ट्रैक्टर व पारंपरिक साधनों की भूमिका सबसे अहम हो गई है। पिछले साल हरियाणा में आए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोनीपत जिले के एक गांव में न केवल ट्रैक्टर चलाया बल्कि खेत में जाकर किसानों के साथ काम भी किया। राहुल की यह तस्वीर जमकर वायरल हुई। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा चंडीगढ़ में पूर्व मनोहर सरकार के विरूद्ध रोष मार्च करते हुए ट्रैक्टर पर सवार होकर विधानसभा पहुुंचे थे। कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा देने वाले इनेलो विधायक अभय चौटाला भी ट्रैक्टर पर सवार होकर इस्तीफा देने के लिए विधानसभा पहुंचे तो पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बने। हरियाणा में नेताओं का तर्क है कि 65 फीसदी मतदाता ग्रामीण अंचल में हैं। उन तक पहुंचने के लिए ट्रैक्टर से आसान साधन कोई नहीं हो सकता।
वर्तमान में चल रहे चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कई बार प्रचार के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर चुके हैं। यही नहीं दक्षिण हरियाणा में प्रचार के लिए गए दुष्यंत चौटाला ने तो वहां के मतदाताओं को लुभाने के लिए ऊंट पर सवार होकर भी प्रचार किया। कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी भी प्रचार के दौरान कई बार ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर चुके हैं। इससे एक कदम आगे जाते हुए सैनी तो बैलगाड़ी की सवारी भी कर चुके हैं। एक शहीद के घर जाते समय बैलगाड़ी की सवारी को लेकर सैनी ट्रोल भी हो चुके हैं।
हरियाणा के राजनीतिक विशलेषक डॉ.सतीश त्यागी के अनुसार ट्रैक्टर से किसानों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। बहुत से किसान ऐसे हैं जो कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदते हैं और खेती करते हैं। हरियाणा में कुछ समय पहले तक कुछ हिस्सों में ट्रैक्टरों पर बारात भी जाती थी। यह खेतीहर व्यक्तियों की पहचान बन चुका है। किसान ट्रैक्टर को बहादुरी व शक्ति का प्रतीक मानते हैं। गांव में जिस किसान के पास ट्रैक्टर है उसे मजबूत माना जाता है। नेता ग्रामीणों अथवा किसानों की इसी भावना का फायदा उठाकर चुनावी सीजन में ट्रैक्टर के माध्यम से उनके साथ अपनी निकटता दिखाते हैं।
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एक हजार रुपये प्रतिदिन किराये पर मिलता है ट्रैक्टर
हरियाणा के जींद, उचाना, जुलाना, कैथल, नारनौंद, हिसार, आदि विधानसभा क्षेत्रों में बातचीत करने पर पता चला कि इन दिनों यहां ट्रैक्टर की पूरी मांग है। कई ट्रैक्टर मालिक राजनीतिक दलों की मांग पर ट्रैक्टरों को फैबरीकेट करवाकर उन्हें रोजाना एक हजार रुपये किराये पर भी दे रहे हैं। जिसमें तेल का खर्च शामिल नहीं है। इसके अलावा कुछ कार्यकर्ता ऐसे भी हैं जो अपने नेता के समर्थन में केवल तेल खर्च पर ही ट्रैक्टरों को प्रचार में चला रहे हैं।
