डॉ. संत राम देशवाल की उपलब्धियां युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत- डीसी

डॉ. संत राम देशवाल की उपलब्धियां युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत- डीसी

झज्जर, 4 जून।
डीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने बुधवार को लघु सचिवालय में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार, शोधकर्ता एवं समाजसेवी डॉ. संत राम देशवाल का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। इस अवसर पर नगर परिषद चेयरमैन जिले सिंह सैनी, डीसीपी जसलीन कौर, एडीसी जगनिवास, सीटीएम रविंद्र मलिक सहित कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। डीसी ने कहा कि यह जिले के लिए गर्व का विषय है कि मूल रूप से जिले के गांव खेड़का गुज्जर से ताल्लुक रखने वाले डॉ. देशवाल को उनकी सामाजिक क्षेत्र की बड़ी उपलब्धियों पर देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

हिंदी, हरियाणवी और लोक संस्कृति के अद्वितीय साधक
उपायुक्त ने कहा कि डॉ. देशवाल ने हिंदी और हरियाणवी साहित्य को न केवल समृद्ध किया है, बल्कि पत्रकारिता, अनुसंधान, लोक संस्कृति और सामाजिक सरोकारों में भी अनुकरणीय योगदान दिया है। एक सामान्य किसान परिवार से निकलकर उन्होंने जो ऊंचाइयां प्राप्त की हैं, वह आज के युवाओं के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है।

पद्म सम्मान धरातल के नायकों को मिल रहा है– डॉ. संत राम देशवाल
डॉ. देशवाल ने कहा कि पद्म सम्मान जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिए जा रहे हैं जो सचमुच धरातल पर समाज की बेहतरी के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे हैं। यह बेहद सकारात्मक है, जो उन गुमनाम नायकों के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रहा है, जो किसी प्रचार या प्रसिद्धि की इच्छा के बिना अपने सामर्थ्य और सेवा भाव से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में लगे हैं। यह सरकार का ऐसा सराहनीय कदम है, जो जमीनी स्तर पर बदलाव की एक नई ऊर्जा और उम्मीद भरने का कार्य कर रहा है।

हरियाणवी संस्कृति हर दृष्टि से समृद्ध : डॉ. संत राम देशवाल
पद्म श्री डॉ. संत राम देशवाल ने कहा कि हरियाणा की लोक संस्कृति, परंपराएं, बोली, गीत, लोकनाट्य और जीवन मूल्य न केवल विविधता से परिपूर्ण हैं, बल्कि इनमें सामाजिक एकता, आत्मसम्मान और नैतिकता की गहरी जड़ें हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणवी संस्कृति में केवल रीति-रिवाज या लोकगीत ही नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन की सादगी, मेहनतकश प्रवृत्ति और सह-अस्तित्व की भावना भी निहित है। उन्होंने बताया कि हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर को केवल सहेजने की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की भी आवश्यकता है। इसके लिए साहित्य, नाटक, मीडिया और शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में हरियाणवी संस्कृति को उचित स्थान मिलना चाहिए। डॉ. देशवाल ने कहा कि वह स्वयं शोध और लेखन के माध्यम से इस दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं और उन्हें यह कार्य न केवल जिम्मेदारी लगता है, बल्कि एक आत्मिक संतोष भी देता है।

युवाओं को दी प्रेरणा- जो समझते हैं समय का महत्व वह बुलंदियां छूते हैं
डॉ. देशवाल ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए समय का पाबंद होना अत्यंत आवश्यक है। जो लोग समय का महत्व समझते हैं और स्वार्थ रहित सेवा भाव से कार्य करते हैं, उन्हें जीवन में अवश्य पहचान मिलती है। उन्होंने बताया कि वे आज भी एक शिक्षक की भूमिका में विद्यार्थियों को प्रेरित करते हैं। उन्हें इस कार्य से गहरा जुड़ाव महसूस होता है।

साहित्य और समाज पर विस्तृत चर्चा
इस मुलाकात के दौरान पद्म श्री डॉ संत राम देशवाल व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साहित्य, समाज व हरियाणवी संस्कृति के विकास पर गंभीर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा हर जीवन पक्ष को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझाती है। ऐसे ज्ञान का प्रसार आज की पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक हो सकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रचार प्रसार के लिए वह बेहद गंभीरता से कार्य कर रहे हैं।

पद्म श्री से सम्मानित डॉ. संत राम देशवाल का परिचय
गौरतलब है कि डॉ. देशवाल हिंदी व हरियाणवी साहित्य, पत्रकारिता, लोक संस्कृति और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में विगत पांच दशकों से सक्रिय हैं। वे अब तक 30 से अधिक पुस्तकें, विशेष रूप से ‘ललित निबंध’ की 8 कृतियाँ लिख चुके हैं। वे ‘बेस्ट एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर’ रह चुके हैं और शिक्षा, नारी सशक्तिकरण, जातिवाद उन्मूलन, और बालिका शिक्षा जैसे विषयों पर सक्रिय कार्य करते रहे हैं।

ये रहे मौजूद
इस अवसर पर डीआरओ प्रमोद चहल, डीडीपीओ निशा तंवर, डीआईपीआरओ सतीश कुमार, बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद के महासचिव डॉ प्रवीण खुराना, वरिष्ठ अधिवक्ता अजय गहलावत सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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