प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिला उपायुक्त स्वप्निल रविंद्र पाटिल की अध्यक्षता में जिला कार्यान्वयन समिति की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में योजना के तहत जिले में आए आवेदनों की समीक्षा की गई और विभिन्न विभागों को लंबित आवेदनों शीघ्र सत्यापन करने के निर्देश दिए। डीसी ने रद्द किए आवेदनों की स्टेट्स रिपोर्ट जमा कारणों से भेजने के निर्देश दिए।
डीसी ने कहा कि शिल्पकार व कारीगर समाज के उत्थान की दिशा में पीएम विश्वकर्मा योजना बेहद महत्वपूर्ण है। इस योजना का उद्देश्य परंपरागत शिल्प कला से जुड़े 18 व्यवसायों जैसे कि बढ़ई, सुनार, लोहार, कुम्हार, दर्जी, नाई, धोबी, राजमिस्त्री, खिलौना निर्माता, मछली जाल बनाने वाले, इत्यादि को पहचान देकर उन्हें कौशल, वित्तीय सहायता, डिजिटल लेन-देन और मार्केट लिंक से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इस योजना में आवेदन कर्ताओं की ट्रेनिंग व लोन सुविधा प्रदान की जाती है। पांच ट्रेड को प्राथमिकता दी गई है व अब तक कुल 134 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 66 आवेदन तीसरे चरण स्तर पर स्वीकृत किए जा चुके हैं। स्वीकृत 66 में से 54 लाभार्थियों ने बेसिक स्किल ट्रेनिंग पूरी कर ली है, जबकि अन्य ट्रेड्स के 571 लाभार्थियों ने भी प्रशिक्षण पूर्ण किया है। मीटिंग में बताया गया कि टूल किट वितरण का कार्य भी जारी है। मीटिंग में सीईओ जिला परिषद मनीष फोगाट, डीडीपीओ निशा तंवर, एलडीएम विजय कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
डीसी ने दिए दिशा-निर्देश
बैठक में डीसी ने कहा कि योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों को सशक्त बनाकर उन्हें एमएसएमई की योजना से जोड़ना है।
उन्होंने संबंधित विभागों को लंबित सत्यापन, टूलकिट वितरण, ऋण स्वीकृति और प्रशिक्षण केंद्रों की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए।
योजना से उत्पादों की गुणवत्ता व पहुंचे में होगा सुधार
डीसी कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना का मुख्य फोकस कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों। यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान कर रही है।
योजना के तहत मिलता है 3 लाख तक ऋण
योजना के तहत विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यवसाय को शामिल किया गया है। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत सरकार की ओर से विश्वकर्मा भाइयों-बहनों को 3 लाख रुपए तक बिना गारंटी ऋण, 15 हजार रुपए के टूलकिट, स्किल अपग्रेडेशन के लिए स्किल ट्रेनिंग के साथ 500 रुपए प्रतिदिन स्टाइपेंड, तैयार उत्पादों के लिए क्वालिटी सर्टिफिकेशन, ब्रांडिंग और विज्ञापन जैसी मार्केटिंग सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
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