बाबा मस्तनाथ मठ में माई चौदस मेले में उमड़ा आस्था और श्रद्धा का सैलाब

बाबा मस्तनाथ मठ में माई चौदस मेले में उमड़ा आस्था और श्रद्धा का सैलाब

रोहतक। हरियाणा के सुप्रसिद्ध बाबा मस्तनाथ मठ अस्थल बोहर में माई चौदस के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस द्विदिवसीय 10 और 11 फरवरी को आयोजित मेले में भक्तों ने सिद्ध शिरोमणि बाबा चौरंगीनाथ महाराज एवं सिद्ध योगिनी पाई देवी की समाधि पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस सिद्धपीठ में आस्था रखने वाले भक्तों का विश्वास है कि जो कोई भी स‘चे मन से यहां प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती हैं।
माई चौदस का यह पावन मेला हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को आयोजित किया जाता है। यह तेरस और चौदस के दो दिवसीय अनुष्ठान के रूप में संपन्न होता है, जिसमें श्रद्धालु दूर-दूर से आकर बाबा मस्तनाथ मठ में मत्था टेकते हैं। इस मठ की आध्यात्मिक परंपरा आठवीं शताब्दी से चली आ रही है, और यह स्थल केवल भक्ति एवं तपस्या का केंद्र ही नहीं, बल्कि योग, शिक्षा, चिकित्सा और सामाजिक सेवा का अद्भुत संगम भी है।
मेले के पहले दिन, सोमवार 10 फरवरी को, ब्रह्म मुहूर्त से ही भक्तों की भीड़ समाधि स्थल पर उमड़ पड़ी। मठ परिसर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं, जो मंगलवार 11 फरवरी तक जारी रहीं। भक्तों ने समाधि पर देसी घी की जोत लगाई, गुड़ और कंबल अर्पित किए, तथा हवन-पूजन कर अपने कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना की।
मठ में चारों ओर ओम् नम: शिवाय और सिद्ध योगियों के मंत्रों का उ‘चारण गूंज रहा था। भक्तजन भक्ति गीतों और संतों की वाणी में डूबे हुए थे। संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया था, मानो सिद्ध योगी बाबा चौरंगीनाथ और योगिनी पाई देवी स्वयं भक्तों को आशीर्वाद प्रदान कर रहे हों।
इस पावन अवसर पर भक्तों के लिए विशाल भंडारे की व्यवस्था की गई थी। सुबह से ही श्रद्धालु महाप्रसाद ग्रहण करने के लिए पंक्तिबद्ध होते रहे। अन्नदान और सेवा कार्यों में भक्तों ने श्रद्धा पूर्वक भाग लिया, क्योंकि यह मान्यता है कि अन्नदान महादान है और इससे आत्मा को पुण्य की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालुओं का यह मानना है कि बाबा मस्तनाथ मठ की सिद्ध ऊर्जा प्रत्येक भक्त की आत्मा को शांति और शक्ति प्रदान करती है। यह स्थान केवल मनोकामना पूर्ति का केंद्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण का भी पवित्र स्थल है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु न केवल भक्ति का अनुभव करते हैं, बल्कि जीवन के गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को भी समझते हैं। इस सिद्धपीठ में साधना करने वाले संतों का मानना है कि स‘ची भक्ति वह है, जो हमें आत्मा से परमात्मा की ओर ले जाए, भय से निर्भयता की ओर ले जाए, और मोह-माया से स‘चे वैराग्य की ओर प्रेरित करे।
ज्ञात होगा कि माई चौदस का यह प्रसिद्ध मेला बाबा मस्तनाथ जी की पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय मेले से पहले संपन्न होता है। हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बाबा मस्तनाथ जी की पुण्य स्मृति में भव्य मेला आयोजित किया जाता है। इस वर्ष यह 6, 7 और 8 मार्च को आयोजित होगा, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
बाबा मस्तनाथ मठ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के समान है, जहाँ आध्यात्मिकता, शिक्षा और चिकित्सा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह मठ वर्षों से सनातन संस्कृति, योग परंपरा और समाज सेवा को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहा है।
माई चौदस मेला और बाबा मस्तनाथ पुण्य स्मृति मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं हैं, बल्कि यह भक्तों को जीवन में श्रद्धा, विश्वास, सेवा और भक्ति का महत्व समझाने का एक पवित्र माध्यम भी हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालु यह अनुभव करते हैं कि स‘ची भक्ति केवल मंदिरों में सिर झुकाने में नहीं, बल्कि अपने कर्मों को ईश्वरमय बनाने में है।

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