भिवानी का पंडित नेकीराम शर्मा मेडिकल कॉलेज चर्चाओं में…..

भिवानी का पंडित नेकीराम शर्मा मेडिकल कॉलेज चर्चाओं में…..

भिवानी। पंडित नेकीराम शर्मा मेडिकल कॉलेज की विधिवत शुरुआत नहीं हुई है। लेकिन औपचारिक रूप से यहां दलाल सक्रिय हो गए हैं। दलाल भी ऐसे जो स्वास्थ्य विभाग को दीमक की तरह चाट रहे हैं। दलाल प्रवृर्ती के ये लोग जुगाड़ कर पिछले दरवाजे से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करते हैं जबकि वे मानक पर खरे नहीं है क्योंकि उनके हर दस्तावेज में कलाकारी है।  बड़े-बड़े राजनेताओं से साठगाठ करने वाला यह माफिया मेडिकल कॉलेज में नौकरी दिलवाने का सब्जबाग दिखाकर लाखों का कारोबार करने की रणनीति बना चुका है।  अब मेडिकल कॉलेज को देख लीजिए शुरुआत हुई नहीं है। उद्घाटन अभी बाकी है लेकिन मेडिकल कॉलेज में दो दर्जन से अधिक चिकित्सकों की नियुक्ति करवाने नर्सिंग अधिकारियों की नियुक्ति दिलवाने व अन्य पदों पर नियुक्ति करवाने के नाम पर लाखों के लेनदेन  का एग्रीमेंट हो रहा है। दलाल प्रवृर्ती के इन लोगों की हिम्मत तो देखिए उनके हाथ में कुछ नहीं है। लेकिन शीर्ष अधिकारियों को हवा में ही बेचा जा रहा है। किसी को मैट्रन बनवाने का झांसा तो किसी को चिकित्सा अधीक्षक बनवाने का लालच।
वैसे तो कहावत है लालच बुरी बला है। लेकिन प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हर आदमी जीवन संवारने के लिए दाव पर कुछ न कुछ लगता है। बस फिर क्या है? दलालों का प्रलोभन और स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारी जिनके तहत मेडिकल कॉलेज आता है। वे आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं। इस प्रकार के दलाल 2013 से 2016 के बीच भी भिवानी में काफी चर्चित रहे थे। स्कूल हेल्थ मिशन के तहत स्कूटर मोटरसाइकिल के नंबरों पर वाहनों को दिखाकर वसूली हुई थी। कई मर्तबा जांच भी शुरू हुई। लेकिन सांठ गांठ से जांच भी या तो धीमी हो गई या फिर इस पर लीपा पोती। इतना ही नहीं जहां दाव लगा वही हाथ साफ किया। आकांओं को खुश करने की महारत ऐसे दललों में होती ही है। कोरोना कल जैसी विकट स्थिति में चौधरी बंसीलाल नागरिक अस्पताल की ओपीडी को बंद करवा कर इसमें विधायक द्वारा सहयोग में दिए गए बेड बिछवा दिए गए। बेड पर तो कोई आकर लेट या नहीं। लेकिन आम आदमी जो प्रतिदिन राहत पाता था उसकी सुविधा अवश्य खत्म हुई। जब चर्चा चली आगे बढ़ी तो दलाल बैक फुट पर आ गए और तत्कालीन सिविल सर्जन भी बगल झांकने लगी। कभी अपने आप को भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खासम खास बताकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को बरगलाने वाला ये आदमी अब अपने आप को भाजपा नेताओं का खासम खास कहता है। हुनर तो यही है कि समय की चाल को देखकर यह दलाल नेता के किसी न किसी मोहरे को पकड़ लेता है और फिर उसी के माध्यम से अपना कारोबार शुरू कर देता है। कोरोना कल में जब उनका किरदार चर्चा बना तो उन्हें भिवानी से हिसार भेजा गया और हिसार में भी उनका नाम सुर्खियों में आ गया। यहां तक की उनकी करगुजारियों से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अधिकारी
झांसे में है।वैसे देखा जाए तो इस व्यक्ति ने डिग्री हासिल की लेकिन आज तक किसी ने यह नहीं पूछा कि जिस समय वे डिग्री प्राप्त करने के लिए पढ़ाई कर रहा था तो चंडीगढ़- भिवानी के बीच में अधिकांश समय कैसे बीता। चलो यह भी छोड़िए इस व्यक्ति ने जो चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई की  उसके अनुरुप कितना काम करके रोगियों को राहत पहुंचाइयी। फिलहाल मेला मेडिकल कॉलेज मे सजा है। आपको चिकित्सक,  फार्मासिस्ट, नर्स, प्रयोगशाला तकनीशियन या सहायक, ओटीए, लिपिक या फिर ठेकेदार के माध्यम से सिक्योरिटी या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में काम करना है तो सेवा शुल्क के आधार पर आपको लोक लुभाने सपने दिखाए जाएंगे। अगर आप झांसे में आ गए तो फिर आपसे वह काम भी करवाया जा सकता है जिसके बाद आप हमेशा एक चंगुल में फंसकर रह जाएंगे। इस दलाल को एक मर्तबा तो राज्यसभा सदस्य श्रीमती किरण चौधरी में गुस्से में आकर चंडीगढ़ माफिया तक बता दिया था। उसके बाद यह महाशय भिवानी छोड़कर कई अन्य जगहों पर अपनी दुकान जमाते जमाते पंचकूला तक पहुंच गए और मौका भांप कर जुगाड़ कर मेडिकल कॉलेज में आ गए। मेडिकल कॉलेज में जिस पद पर यह महानुभाव विराजमान है। उसके लिए स्वास्थ्य प्रबंधन में प्रशासनिक अनुभव की आवश्यकता होती है। यह अनुभव उन्हें कहां से मिला यह भी कई सवालों के घेरे में है।  एक वक्त ऐसा भी था जब चौधरी बंसीलिल नागरिक अस्पताल में ठेकेदार के माध्यम से सिक्योरिटी कर्मचारी की भर्ती हुई थी।  इसकी एवज में केवल 38-40 प्रतिशत ठेका कर्मचारी भर्ती किए गए और जो बिल बने वो जानकर आपकी नींद उड़ जाएगी। जब मामला गर्माग या तो फिर आनन फानन में बिलों को ठीक करने का प्रयास भी किया गया। बिना अधिकारियों की स्वीकृति के पेमेंट भी हुई और जब रिश्तेदारी नहीं मिली तो ठेकेदार को आंख भी दिखाई गई। मामला सुर्खियों में आया तो तत्कालीन उपायुक्त डॉक्टर अंशज सिंह ने इस मामले की जांच के आदेश दिए और ठेका कर्मचारियों की संख्या बताने के निर्देश विधिए वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर कृष्ण कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति के सामने ठेका कर्मचारियों की गिनती करवाई गई। चौधरी बंसीलाल नागरिक अस्पताल  ठेका कर्मचारियों की संख्या को लेकर दो मर्तबा परेड भी करवाई गई। दोनों ही बार कर्मचारियों की संख्या काफी कम दर्ज हुई। इस प्रकार के विवादित लोग यदि महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित नेकीराम मेडिकल कॉलेज के नाम के साथ जुड़ेंगे तो निश्चित रूप से इसकी साख पर सवालिया लगेगा।

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