भुज गुजरात, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज गुजरात के भुज वायु सेना स्टेशन का दौरा किया। इस एयरबेस को पिछले सप्ताह पाकिस्तानी सेना की ओर से निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। हालांकि, उनके नापाक मंसूबों पर भारतीय सशस्त्र बलों ने पानी फेर दिया था।जितनी देर में लोग नाश्ता करते हैं, उतने में आपने दुश्मनों को निपटा दिया’, भुज एयरबेस से राजनाथ की हुंकार
भुज एयर बेस पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कल ही मैंने श्रीनगर में हमारे बहादुर सेना के जवानों से मुलाकात की थी. आज मैं यहां वायु योद्धाओं से मिल रहा हूं. कल मैंने उत्तरी क्षेत्र में हमारे जवानों से मुलाकात की थी और आज मैं देश के पश्चिमी हिस्से में वायु योद्धाओं और अन्य सुरक्षा कर्मियों से मिल रहा हूं. मैं दोनों मोर्चों पर उच्च जोश और ऊर्जा को देखकर उत्साह महसूस करता हूं.
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को भुज एयर फोर्स स्टेशन का दौरा किया और यहां वायु योद्धाओं को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए बधाई दी. यहां अपने संबोधन में पाकिस्तान की चुटकी लेते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि जितनी देर में लोग नाश्ता करते हैं, उतनी देर में आपने दुश्मनों को निपटा दिया. उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आपने जो कुछ भी किया, उससे सभी भारतीयों को गर्व हुआ है, चाहे वे भारत में हों या विदेश में. पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद को कुचलने के लिए भारतीय वायुसेना के लिए सिर्फ 23 मिनट ही काफी थे. जितनी देर में लोग नाश्ता करते हैं, उतनी देर में आपने दुश्मनों को निपटा दिया.’रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भुज एयरबेस पर ऑपरेशन सिंदूर में शामिल जवानों का अभिनंदन किया. राजनाथ सिंह ने कहा कि इस ऑपरेशन ने दुनिया में भारत का मस्तक ऊंचा किया है और यह पाकिस्तान के खिलाफ हमारी जीत का साक्षी बना है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत अब सिर्फ विदेशी हथियारों पर निर्भर नहीं है, बल्कि स्वदेशी अस्त्र-शस्त्र हमारी सैन्य शक्ति का अहम हिस्सा बन चुके हैं, जिसका प्रमाण ब्रह्मोस मिसाइल की सफलता है.
: सिंह ने कहा कि ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल की ताकत को तो पाकिस्तान ने खुद स्वीकार किया है। हमारे देश में एक कहावत काफी पुरानी है और वह है – दिन में तारे दिखाना। मगर भारत में बनी ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मन को रात के अंधेरे में दिन का उजाला दिखा दिया है। भारत के जिस एयर डिफेंस सिस्टम की तारीफ हर तरफ हो रही है, उसमें डीआरडीओ की ओर से बनाए गए ‘आकाश’ और अन्य रडार सिस्टम की जबरदस्त भूमिका रही है।
