रानी अहिल्याबाई होल्कर न केवल महान शासिका, बल्कि महिला सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल है : दीप्ति रावत

रानी अहिल्याबाई होल्कर न केवल महान शासिका, बल्कि महिला सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल है : दीप्ति रावत

चंडीगढ़, 15 मई। भारतीय जनता पार्टी 21 मई से 31 मई तक हरियाणा में रानी अहिल्या बाई होल्कर की जयंती मनाएगी। इसी कड़ी में गुरुवार को भाजपा कार्यालय कर्ण कमल में प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस कार्यशाला में राष्ट्रीय महामंत्री महिला मोर्चा दीप्ति रावत, केंद्रीय संसदीय बोर्ड की सदस्य डा. सुधा यादव, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष लतिका शर्मा, संगठन मंत्री फणीन्द्रनाथ शर्मा, मीडिया राष्ट्रीय महिला मोर्चा टीना बैंटिक, वेदपाल एडवोकेट, महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष उषा प्रियदर्शी, अवनीत कौर, हरविंद्र कोहली, शशि टुरेजा व सतीश खोला  मौजूद रहे।
राष्ट्रीय महामंत्री महिला मोर्चा दीप्ति रावत ने कहा कि देश भर में रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाई जा रही है। रानी अहिल्याबाई होल्कर का जीवन नारी सशक्तिकरण के प्रति समर्पण और नेतृत्व के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर न केवल महान शासिका रही, बल्कि वे महिला सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल भी थीं। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर के जीवन और कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कार्यक्रमों के दौरान महिलाओं को उनके अधिकारों और क्षमताओं के प्रति जागरूक और समाज व राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
दीप्ति रावत ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर के त्याग और समर्पण भाव को देशभर में रानी और देवी के रूप में पूजा जाता है और भारत की सबसे दूरदर्शी महिला शासकों में से एक माना जाता है। 18वीं शताब्दी में, मालवा की महारानी के रूप में, धर्म का संदेश फैलाने में और औद्योगीकरण के प्रचार-प्रसार में रानी अहिल्याबाई होल्कर का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। उन्होंने कहा कि 31 मई 1725 को जामखेड, अहमदनगर (महाराष्ट्र) के चोंडी गाँव में जन्मी अहिल्या, एक साधारण परिवार से थीं। अहिल्याबाई का विवाह 1733 में खंडेराव होलकर से हुआ। विवाह के बारह साल बाद, कुम्हेर किले की घेराबंदी के दौरान, उनके पति खंडेराव की मृत्यु हो गई। अहिल्याबाई इतनी आहत हुईं कि उन्होंने सती होने का फ़ैसला कर लिया। लेकिन उनके ससुर मल्हार राव ने उन्हें इतना कठोर कदम उठाने से रोक लिया और अहिल्या को अपनी छत्र-छाया में लेकर, उन्हें सैन्य और प्रशासनिक मामलों में प्रशिक्षित किया।
दीप्ति रावत ने कहा कि राज्य और अपनी प्रजा के कल्याण को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पेशवा से, मालवा के शासन को सँभालने की अनुमति मांगी। उन्होंने कई मौकों पर सेना का नेतृत्व किया था और एक सच्चे योद्धा की तरह लड़ाई लड़ी थी। 1767 में, पेशवा ने अहिल्याबाई को मालवा पर अधिकार करने की अनुमति दे दी।  अहिल्याबाई के शासन के तहत, मालवा में शांति, समृद्धि और स्थिरता बनी रही। साथ ही साथ उनकी राजधानी, महेश्वर, साहित्यिक, संगीतात्मक, कलात्मक और औद्योगिक गतिविधियों के एक बेहतरीन स्थान में परिवर्तित हो गई।
केंद्रीय संसदीय बोर्ड की सदस्य डा. सुधा यादव ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर की जयंती प्रेरणदायक है। रानी अहिल्याबाई का महत्वपूर्ण योगदान था कि उन्होंने 1780 में, प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर की मरम्मत और उसका नवीनीकरण कराना।‘दार्शनिक महारानी’ की उपाधि से सम्मानित, अहिल्याबाई का 13 अगस्त 1795 को सत्तर वर्ष की आयु में निधन हो गया। डा. सुधा यादव ने कहा कि रानी अहिल्याबाई की विरासत आज भी जीवित है और उनके द्वारा बनवाए गए विभिन्न मंदिर, धर्मशालाएँ और किए गए सार्वजनिक कार्य, इस योद्धा रानी की महानता की गवाही देते हैं। अहिल्याबाई ने महेश्वर में वस्त्र उद्योग भी स्थापित किया, जो वर्तमान में अपनी महेश्वरी साड़ियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। आम आदमी की समस्याओं के समाधान निकालने के लिए, अहिल्याबाई प्रतिदिन जन-सुनवाई किया करती थीं।
रानी अहिल्याबाई होल्कर कार्यक्रम के प्रदेश संयोजक वेदपाल एडवोकेट ने कहा कि 21 मई को मुख्यमंत्री के आवास पर कार्यक्रम होगा। इसके बाद 22 से 24 मई तक जिला स्तर पर गोष्ठियां होंगी जिसमें रानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन, शासन, समाज सेवा, संस्कार पर परिचर्चाएं होंगी। उन्होंने कहा कि 28 और 29 मई को जिला स्तर पर महिला व बालिकाओं की जागरण दौड़ तथा 31 मई को कुरूक्षेत्र के पीपली में प्रदेश स्तरीय रैली का आयोजन होगा। वेदपाल एडवोकेट ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर होने वाले कार्यक्रमों के लिए उषा प्रियदर्शी को सह संयोजक, अवनीत कौर, हरविन्द्र कोहली, शशि टुरेजा और सतीश खोला को सदस्य नियुक्त कर दिया गया है।