शिविर में कैंसर के बारे किया जागरूक, बाल्यावस्था कैंसर और रोबोटिक सर्जरी पर हुई चर्चा

शिविर में कैंसर के बारे किया जागरूक, बाल्यावस्था कैंसर और रोबोटिक सर्जरी पर हुई चर्चा

करनाल, आशुतोष गौतम। कैंसर देखभाल एवं अनुसंधान क्षेत्र के अग्रणी संस्थान राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर  ने देश पर कैंसर के बढ़ते भार के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), करनाल के साथ मिलकर एक सतत शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) का आयोजन किया।

जहां डॉ. संदीप जैन, सीनियर कंसल्टैंट, पीडियाट्रिक हेमाटोलॉजी ऑन्कोलॉजी, आरजीसीआईआरसी ने बच्चों में संभावित कैंसर को प्रभावी ढंग से संभालने पर अपने विशेषज्ञता साझा की, वहीं डॉ. अमिताभ सिंह, सीनियर कंसल्टैंट, जेनिटोयूरो-ऑन्कोलॉजी, आरजीसीआईआरसी ने रोबोटिक सर्जरी से ऑपरेशन के बाद के परिणामों को बेहतर करने पर चर्चा की।

डॉ. संदीप जैन, सीनियर कंसल्टैंट, पीडियाट्रिक हेमाटोलॉजी ऑन्कोलॉजी, आरजीसीआईआरसी ने बच्चों में संभावित कैंसर से संबंधित सर्वश्रेष्ठ उपायों पर टिप्स और उसकी जांच करते समय होने वाली गलतियों से दूर रहने पर अपनी बात रखते हुए कहा, हालांकि बाल्यावस्था का कैंसर दुर्लभ होता है, क्योंकि भारत में एक साल में केवल 70,000 ही नये मामले सामने आते हैं। इसका मतलब एक बाल रोग चिकित्सक (पीडियाट्रिसियन) जो हजारों बच्चों की जांच एक दिन में करता है, उसके पास शायद साल में एक ही कैंसर से पीढ़ित बच्चा आये। फिर भी इन मामलों में शीघ्र निदान बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि बच्चों में होने वाले कैंसर के लक्षण आम बीमारियों जैसे होते हैं। जैसे लंबे समय तक बुखार, लसीका पर्व (लिम्फ नोड्स) में अबूझ सूजन जैसे दीर्घकालीन लक्षणों के होने पर आम बीमारियों की दवा लेने की जगह गहन जांच करवानी चाहिए।

वहीं रोबोटिक सर्जरी से ऑपरेशन के बाद के परिणामों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अमिताभ सिंह, सीनियर कंसल्टैंट, जेनिटोयूरो-ऑन्कोलॉजी, आरजीसीआईआरसी ने बताया, “ओपन सर्जरी में बड़े चीरे की जगह रोबोटिक सर्जरी में एक बहुत छोटा सा चीरा लगता है। जिसका फायदा सर्जरी के बाद कम दर्द और तेज रिकवरी, चलने और खाने की दिनचर्या की शीघ्र वापसी, एक छोटा घाव और हॉस्पिटल से जल्द छुट्टी मिल जाती है

कार्यक्रम में करनाल और उसके आसपास के क्षेत्रों के अग्रणी मेडिकल प्रैक्टिशनरों ने भाग लिया।

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