15 अगस्त तक जेजेपी को हड़प जाएगी बीजेपी! सत्ता की ‘चाबी’ में नहीं  रहेगी जेजेपी साझेदार!

15 अगस्त तक जेजेपी को हड़प जाएगी बीजेपी! सत्ता की ‘चाबी’ में नहीं रहेगी जेजेपी साझेदार!

 

बीजेपी का मास्टर प्लान : राष्ट्रपति चुनाव के बाद जेजेपी के 8 विधायक हो सकते हैं भाजपा में शामिल!

हरियाणा के सियासी गलियारों में आजकल यह चर्चा चली हुई है कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद हरियाणा में बहुत भारी उलट फेर होने वाला है। भाजपा ने जेजेपी के सफाए के लिए एक मास्टर प्लान बनाया हुआ है। जिसमें भाजपा अपने सहयोगी गठबंधन जेजेपी के 8 विधायकों को भाजपा में शामिल करेगी और जेजेपी से गठबंधन तोड़कर अलग हो जाएगी। ऐसा बताया जा रहा है कि जेजेपी के विधायकों के हाथ कोई सर्वे रिपोर्ट लगी है, जिसमें जेजेपी से चुनाव लड़ने पर उनकी हार तय बताई जा रही है और 4 विधायकों की टिकट कटने के भी संकेत हैं। जिसके कारण ये सभी विधायक भाजपा में शामिल होकर खुद का अस्तित्व बचाने की जुगत में लगे हुए हैं। दूसरा इन्हें यह भी लगता है कि बीजेपी में रहकर वो जनता के काम करवा सकेंगे। वहीं चर्चा यह भी है कि इन 8 विधायकों में से 4 विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा और दुष्यंत चौटाला के विभागों को ही इनमें वितरित किया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो दुष्यंत चौटाला और उनकी माता नैना चौटाला ही मात्र दो विधायक जेजेपी के पास रह जाएंगे। यह पूरा पैटर्न उसी तरह का है, जिस तरह पूर्व सीएम हुड्डा ने हजकां के विधायकों को शामिल करके किया था।

भाजपा संगठन की तरफ से कराए गए एक सर्वे के अनुसार अब जेजेपी के साथ गठबंधन में रहना बीजेपी के लिए काफी नुकसानदायक रहने वाला है। इसलिए बीजेपी जेजेपी से गठबंधन तोड़ कर और उसके विधायकों को पार्टी में शामिल करके एक सुरक्षित सरकार बनाए रखना चाहती है ताकि 2024 में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में लौटने के लिए ज्यादा मशक्कत ना करनी पड़े। दूसरी तरफ कांग्रेस के बागी नेता कुलदीप बिश्नोई भी जल्द बीजेपी में शामिल होने वाले हैं। ऐसे में जेजेपी के साथ रहते यह संभव नहीं है। इसलिए भाजपा ने जेजेपी के विधायकों को साध लिया है। भाजपा कुलदीप बिश्नोई के साथ-साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा को आधिकारिक तौर पर जोड़ना चाहती है। भाजपा नॉन जाट की राजनीति खुलकर करना चाहती है, इसके लिए दुष्यंत चौटाला से पिण्ड छुड़ाना जरूरी है। ताकि जाट कांग्रेस, जेजेपी व इनेलो तीन हिस्सों में बंट जाएं।

हाल ही में हुए नगर परिषद और पालिका चुनाव में जहां पार्टी ने जेजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ा, वहां के परिणाम काफी बेहतर रहे हैं। दूसरी तरफ परसों सीएम मनोहर लाल ने नरवाना से जेजेपी के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा को भी भाजपा का पटका पहना दिया था। हालांकि उस समय इस बात को हंसी मजाक में उड़ा दिया गया, जबकि यह भविष्य की ओर साफ संकेत है। वहीं जेजेपी के विधायक ने नरवाना नगर परिषद के नवनियुक्त चेयरमैन प्रतिनिधि को डिप्टी सीएम के बजाए सीएम से मिलवाया। जो कि पार्टी के लिहाज से बिल्कुल गलत है। दूसरी तरफ पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के विभाग के बड़े अधिकारियों की मीटिंग डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने ली। जो कि प्रोटोकॉल के हिसाब से बिल्कुल गलत थी। नारनौंद के विधायक पहले ही दुष्यंत चौटाला से दूरियां बना चुके हैं।

दरअसल बीजेपी, जेजेपी और सरकार में शामिल सभी निर्दलीय विधायक डिप्टी सीएम की मनमानी से काफी परेशान हैं, क्योंकि उनके विभाग के अधिकारी मंत्रियों एवं विधायकों के फोन तक नहीं उठाते। काम तो कहाँ से करेंगे। बेलगाम अफसरशाही और भ्रष्टाचार से जनता के साथ-साथ विधायक भी काफी परेशान हैं। ऐसे में गठबन्धन को तोड़ने का चौतरफा दबाव बना हुआ है। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने नगर निकाय चुनाव में ही जेजेपी से गठबंधन तोड़ने के साफ संकेत दे दिए थे और अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला भी सुना दिया था, परंतु बाद में हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद इस फैसले को पलट दिया गया था। अब माना यह जा रहा है कि हाईकमान राष्ट्रपति के चुनाव तक किसी तरह की उठापटक के मूड में नहीं था। इसीलिए उसने नगर निकाय चुनाव में गठबंधन के साथ लड़ने का सुझाव दिया था। जिसे मान लिया गया था परंतु अब यह कहा जा रहा है कि गठबंधन के दिन गिने चुने बचे हैं और जेजेपी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।

भाजपा का अपने सहयोगी गठबंधनों के प्रति जिस तरह का इतिहास रहा है। उससे साफ है कि भाजपा जेजेपी का भी वही हश्र करेगी। जो उस ने इनेलो, हजकां, शिवसेना और राम बिलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, कश्मीर में पीडीपी का किया था। कर्नाटक से लेकर कश्मीर तक भाजपा का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वह अपनी सहयोगी पार्टी को जड़ समेत हड़प लेती है। ऐसा ही खेला जेजेपी के साथ होता हुआ लग रहा है।