रोहतक। बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के प्रबंधन एवं वाणिज्य संकाय में आज फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का प्रमुख विषय “प्रबंधन शिक्षा में वैश्विक स्तर के नवीनतम रुझान” रहा। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को प्रबंधन शिक्षा के नवीनतम वैश्विक दृष्टिकोण से अवगत कराना और उन्हें आधुनिक शिक्षण विधियों की जानकारी देना था।
कार्यक्रम को ऑस्ट्रेलिया के मोनाश बिजनेस स्कूल, मेलबर्न के प्रोफेसर एडवर्ड बकिंघम ने संबोधित किया। प्रोफेसर बकिंघम प्रबंधन शिक्षा में अपने गहरे अनुभव और शोध कार्यों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने प्रबंधन शिक्षा के आधुनिक तरीकों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की और बताया कि शिक्षा प्रणाली को लगातार विकसित और गतिशील बनाए रखना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि एक प्रभावी प्रबंधन शिक्षा प्रणाली में विभिन्न पहलुओं का समुचित प्रबंधन और समन्वय अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि क्षमताओं और चुनौतियों के बीच संतुलन बनाकर ही एक प्रभावी शिक्षा प्रणाली विकसित की जा सकती है। इसके साथ ही, उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और व्यावहारिक ज्ञान को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रोफेसर एडवर्ड ने यह भी उल्लेख किया कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में केवल पारंपरिक शिक्षण विधियों से आगे बढ़कर तकनीकी और डिजिटल शिक्षण को अपनाना आवश्यक हो गया है। व्यावहारिक अनुभव और इंडस्ट्री से जुड़ाव प्रबंधन शिक्षा को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एच. एल. वर्मा ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षण और प्रबंधन में नवाचार को अपनाकर हम अधिक कुशल और प्रभावी परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब शिक्षकों को आधुनिक शोधों, तकनीकों और प्रबंधन रणनीतियों की पूरी जानकारी हो।
उन्होंने विश्वविद्यालय में सतत् विकास और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों को प्रेरित किया। कुलपति ने यह भी कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना नहीं, बल्कि छात्रों को व्यावहारिक और नवाचार आधारित ज्ञान देना होना चाहिए।
इस अवसर पर महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय से प्रोफेसर डॉक्टर राजकुमार ने कहा कि आधुनिक युग में शिक्षा को उद्योगों के साथ जोड़ना बेहद आवश्यक है। उन्होंने शिक्षा के डिजिटल रूपांतरण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आज के युग में ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रबंधन शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे व्यवहारिक और उद्योग उन्मुख बनाना चाहिए। उन्होंने शिक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे छात्रों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान दें, बल्कि उन्हें समस्याओं का समाधान निकालने की व्यावहारिक समझ भी विकसित करनी चाहिए।
इस अवसर पर डॉ. सुमन पहल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की शुरुआत की।
कार्यक्रम में डॉ. जसप्रीत दहिया, डॉ. सपना बंसल, डॉ. देवेंद्र सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रमुखों और संकाय सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके अतिरिक्त, डॉ. कोमल, डॉ. निशा, डॉ. हेमा सिंगल, डॉ. विनीता, डॉ. महिपाल, डॉ. सवींन, डॉ. मोनिका, डॉ. अभिषेक, डॉ. रीना, डॉ. नेहा और डॉ. आशा जैसे प्रतिष्ठित शिक्षाविद भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
